ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है|Option trading in hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है ?आप सब ने कहीं ना कहीं स्टॉक मार्केट का नाम तो सुना ही होगा स्टॉक मार्केट में निवेश करने के बहुत से तरीके होते हैं जिनमें Option trading होता है फीचर ट्रेडिंग होता है लिवरेज होता है और बहुत से ऐसे ट्रेडिंग होते हैं जो कि आप कर सकते हो लेकिन इन ट्रेडिंग में रिस्क होने के ज्यादा चांसेस होते हैं बहुत से ऐसे ट्रेडिंग है जिसमें रिस्क तो कम है।

लेकिन अगर आप ट्रेड करते हो तो उसमें ज्यादा रिस्क होने के चांसेस होते हैं तो इसी के बीच हमारे बीच एक ऑप्शन ट्रेडिंग नाम का स्टॉक मार्केट में एंट्री करने का एक तरीका आया है। आज हम जानेंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और यह कैसे काम करती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग की अगर बात करें तो यह स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने का ही एक तरीका है इसे ऐसे समझ सकते हैं कि आप कुछ पैसे देकर किसी स्टॉक को पहले ही एडवांस में खरीद लेते हो। जिससे आने वाले टाइम में आप उस शेयर को खरीद भी सकते हो और नहीं भी खरीद या बेच भी सकते हो और नहीं भी।

इस ऑप्शन ट्रेडिंग से आप एक हकदार बन जाते हो कि आपने इसमें पैसे दिए हैं और अब आपके अलावा इस शेयर पर कोई और छेड़छाड़ नहीं करेगा। हालांकि इसकी कीमत वही रहेगी जो की एडवांस बुकिंग कराते टाइम थ

आज हम जानेंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है Example से समझते हैं

सपोज आप एक कार खरीदने गए हो जिसकी कीमत अभी ₹500000 हैं। हालांकि वह कार अवेलेबल तो हैं लेकिन उस कलर में नहीं है जिस कलर में आपको चाहिए। तो शोरूम वाले आपको कहते हैं कि सर यह कार अभी इस कलर में अवेलेबल नहीं है आप चाहे तो नेक्स्ट मंथ इस कार को ले सकते हैं।

लेकिन उसी टाइम आपके दोस्त का कॉल आता है वह कहता है कि कार इसी महीने खरीद लो नहीं तो अगले महीने कार पर टैक्स बढ़ने वाले हैं और कार और महंगी होने वाली है।
ऐसे में आपके पास दो ऑप्शन है।


Option A- आप उसी कार को उठाकर ले आओ जो वहां पर मिल रही है।
Option B- आप जो वाइट वाली कार है जो कि आपको चाहिए आप उसके एडवांस बुकिंग करा लो क्योंकि आप उसके एडवांस बुकिंग करा रहे हो तो आपको जो मिनिमम अभी अमाउंट चल रहा है कार का उसी अमाउंट के हिसाब से आपको टैक्स पड़ेगा यानी कि आपको एक्स्ट्रा अमाउंट देने की कोई जरूरत नहीं है।

ऑप्शन  ट्रेडिंग
ऑप्शन ट्रेडिंग

इसमें आपका टैक्स तो नहीं पड़ेगा लेकिन आप की एडवांस बुकिंग जैसे की गाड़ी की थी तो आपके हिसाब से 20 हजार शोरूम वाला आप से चार्ज करता है तो आने वाले टाइम में आपकी कार की कीमत हो जाएगी 5 लाख 20 हजार क्योंकि 20 हजार सिर्फ बुकिंग के है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में आपको समय से पहले ही किसी स्टॉक का हकदार माना जाता है तब तक कि जब तक वह स्टाक बिका ना हो या तो सेल ना हुआ हो या अपने लिया ना हो।

ऑप्शन ट्रेडिंग

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ऑप्शन ट्रेडिंग के प्रकार


ऑप्शन ट्रेडिंग दो तरीके से मुख्यतः होती है पहला तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि आपको किसी चीज को या किसी stock को एडवांस में लेना है,पहला यह और दूसरा आपको इसी स्टॉक को बाद में किसी से जिससे आपने एडवांस लिया है उसको बेचना है।

एग्जांपल- आपको का लेनी है आप एक शोरूम में गए आपको उस कलर की कार नहीं मिली शोरूम वाले ने कहा कि अगले महीने कार आ जाएगी । आपको अब उस कार की जो कि आने वाली वाइट कलर में पसंद है उसके अगले महीने के पहले ही बुकिंग करा देंगे जिससे कि उस पर टैक्स ना लगे।

दूसरा शुरू वाला आपको एक ऐसा ऑफर देता है कि यह गाड़ी अगले महीने बहुत ही सस्ते होने वाली हैं और आपको यह ऑफर देता है कि आप अगले महीने इस कार को खरीदेंगे ही खरीदेंगे चाहे इसका प्राइस बड़े या घटेगा यह सोच समझकर की प्राइस अगले महीने घटना है तो मुझे कम प्राइस में मिल जाएगा।


अब ऐसा होता नहीं है और अगले महीने गाड़ी का प्राइस थोड़ा बढ़ जाता है और अब आप ऐसा बिल्कुल भी मना नहीं कर सकते कि आपको वह नहीं लेना है आपको हर लेना ही पड़ेगा हां या ना सिर्फ निर्भर करता है बेचने वाले पर कि अब वह आपको स्टॉक या गाड़ी बेचता है या नहीं बेचता ।

इन्हीं संभावनाओं को देखकर ऑप्शन ट्रेडिंग के दो ऑप्शन मिलते हैं।
कॉल ऑप्शन।
पुट ऑप्शन।

Trading क्या है Trading कितने प्रकार कि होती है?2023

कॉल ऑप्शन

इस ऑप्शन में आप किसी भी स्टॉक के हकदार बनने के लिए एडवांस पेमेंट कर लेते हो जिसमें अगर बाद में उसकी कीमत भी बढ़ेगी तो आपको सिर्फ उतना ही पे करना होगा जितना एडवांस करते टाइम, आपने कीमत तय की थी। इसमें कीमत कुछ भी हो सामने वाले को आपको स्टॉक देना ही होगा।

पुट ऑप्शन

इस ऑप्शन में आप अपने स्टाॅक को हाई प्राइज पर बेच सकते हैं। माना आपको लगता है कि मार्केट में कोई स्टॉक गिरने वाला है तो आप उसकी के लिए पहले ही कस्टमर ढूंढ कर रखेंगे क्योंकि आपको पहले ही आपका कुछ परसेंट ही market को pay कर देंगे जिससे कि बाद में उनको वह स्टॉक लेना ही पड़ेगा चाहे बाद में उसे स्टोक की कीमत कम हो या ज्यादा हो।

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं

ऑप्शन ट्रेडिंग एक ऐसा ट्रेडिंग फार्मूला है जिससे कि आप ऑनलाइन किसी ब्रोकरेज के माध्यम से कर सकते हैं।


तो ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा।
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के बाद आप स्टॉक ब्रोकर के द्वारा दिए गए ऐप से आप आराम से ट्रेडिंग कर सकते है।


ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए कुछ जरूरी टाइम है जिसके बारे में आप कुछ जानकारी होनी चाहिए:

प्रीमियम- ऑप्शन ट्रेडिंग के कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने की लागत को प्रीमियम कहते हैं।

स्ट्राइक मूल्य– बहुमूल्य है जिसमें आप ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए सक्षम होते हैं।

समाप्ति तिथि- ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी डेट को समाप्त तिथि कहते हैं।

स्टॉप साइन- किसी भी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी हुई स्टॉक या इंडेक्स की पहचान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

आइए आप जानते हैं कि पुट ऑप्शन ट्रेड और कॉल ऑप्शन ट्रेड कैसे करते हैं

पुट ऑप्शन ट्रेड कैसे करते है


जब पुट ऑप्शन खरीदा जाता है। तब आप एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट खरीदने वाले होते हैं जो एक निश्चित रेट पर और निश्चित समाप्ति की तिथि पर सिक्योरिटी को बेचने का ऑप्शन देता है।
पुट ऑप्शन खरीदने से पहले आपको इन बातों का ध्यान तो रखना ही चाहिए।


1-आप कितने लॉट में ट्रेड करना चाहेंगे।
2-क्या बाजार अचानक से बदल जाता है।
3-आप जैसे कितना रिस्क लेना चाहते हैं।
4-आप कैसी एक्सपायरी के लिए ट्रेड करना चाहेंगे।


टॉपसन से मतलब है कि आपको किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत एक्सपायरी डेट से पहले कम होने वाली है। वहां पर आप कम रेट से से मुनाफा कमाने के लिए पुट ऑप्शन खरीदते हो।
जैसे-जैसे उस एसेट की कीमत गिरेगी आपको उतना ही प्रॉफिट होगा।

ऑप्शन  ट्रेडिंग
ऑप्शन ट्रेडिंग

Example.


माना जेड बी सी कंपनी है। इसके 100 शेयर की कीमत ₹50 पर शेयर हैं। आपको पता है कि अगले महीने जो शेयर गिरकर ₹25 पर शेयर होने वाला है। और आप यह शेयर पहले ही एडवांस में खरीद लेते हो और यह अधिकार रखते हो कि अगले महीने चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो लेकिन आपको ₹50 पर शेयर ही बेचना है। एक पुट ऑप्शन का एक फायदा है।

कॉल ऑप्शन में ट्रेड कैसे करते हैं


कॉल ऑप्शन एक ऑप्शन ट्रेड है जिसमें आपको भी पता है कि अगले महीने यह वस्तु काफी महंगी हो जाएगी इसलिए आप पहले ही एडवांस देकर उस स्टॉक या इंडेक्स की बुकिंग करा लेते हो। जिससे कि अगले महीने वह वस्तु का स्टॉक या इंडेक्स आपको उतने ही रुपए में मिले जितने कि अभी उपलब्ध है।

Example

मान लीजिए जेड बी सी कंपनी है और आप इस कंपनी के 100 शेयर खरीदना चाहते हैं जिनकी कीमत ₹50 पर शेयर है। लेकिन दिक्कत यह है कि अभी आपके पास इतने पैसे नहीं है क्या आप इन ऑप्शन को अभी खरीद सकें।

दूसरी दिक्कत यह है कि अगले महीने यह ऑप्शन बढ़कर ₹75 पर शेयर हो जाएंगे। इसलिए आप इन शेयरों की बुकिंग कुछ पैसे देकर पहले ही करा लेंगे जो कि आपको अगले महीने ₹75 के बदले ₹50 पर शेयर ही मिलेंगे। इससे आपको ज्यादा मुनाफा हो सकता है क्योंकि ₹50 का शेयर अगले महीने ₹75 का बिकेगा

ऑप्शन में ध्यान देने वाली बातें


कॉल ऑप्शन में आप कुछ खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट लेते हो।
पुट ऑप्शन में आप कुछ बेचने का कॉन्ट्रैक्ट लेते हो।

कॉल ऑप्शन में आपके पास एक अधिकार आ जाता है कि अगले महीने माना किसी शेयर की कीमत घट गई है तो आप उस शेयर को नहीं भी ले सकते हो और बढ़ गई है तो ले भी सकते हो। लेकिन अगर आप खरीदते हो तो सामने वाले को आपको वह इंडेक्स या स्टॉक देना ही पड़ेगा।

पुट ऑप्शन में आपके पास यह अधिकार होता है कि आप किसी भी शेयर को अगले महीने या अगले जो भी शेयर एक्सपायरी डेट होगी उसमें बेच भी सकते हो और नहीं भी बेच सकते हो। लेकिन अगर आप बेचते हो तो सामने वाले को खरीदना ही पड़ेगा जिसके साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ है।

ऑप्शन का मूल्य आखिर निर्धारित कैसे किया जाता है


यह से चीजों पर निर्भर करता है जैसे अगर माना कोई शेयर का प्राइस अभी कुछ भी चल रहा है या कोई एबीसी कोई भी प्राइस हम ले ले वह चल रहा है तो उसके हिसाब से उसका कुछ परसेंट आपको देना ही होगा चाहे वह पुट ऑप्शन हो या कॉल ऑप्शन।

खासकर इस कीमत की बात कर रहे थे यह दो तरीके से होती है ।



1-इंटरनल वैल्यू।

2-टाइम वैल्यू।

किसी भी ऑप्शन का रेट इस प्रकार से डिसाइड होता है कि उसके स्ट्राइक इंडेक्स और स्टॉक के बीच का अंतर क्या है।
ऑप्शन वैल्यू की बात करें तो ऑप्शन वैल्यू आपको यह बताता है कि आप अगर इस ऑप्शन पर कॉन्ट्रैक्ट लेंगे करेंगे तो आपको कितना मुनाफा होगा।

टाइम तो बहुत मैटर करता है
अगले महीने कौन सा स्टॉक कितना गिरने वाला है वह पहले ही ग्राफ से पता चल जाता है इसलिए लोग ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं। यानी समय बलवान है।

Option Trading Strategies in Hindi


एक कमेंट की गई कॉल प्लान के दो भाग होते हैं। आप किसी स्टॉक क्या इंडेक्स का ऑप्शन खरीदते हैं। कई बार फिर आप उसी इंडेक्स या स्टॉक के लिए कॉल ऑप्शन को बेचते हैं।


जब कभी स्टॉक रेट स्ट्राइक रेट से ऊपर नहीं जाता है तब तक आपको कॉल ऑप्शन बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं

Option trading strategy.

लॉन्ग स्ट्रगल स्टेटजी

लॉन्ग स्ट्रगल स्टेटजी बनाने के लिए एक ही स्ट्राइक रेट एक ही समय एक्सपायरी डेट में पुट ऑप्शन करेगी एक्सपायरी डेट में कॉल ऑप्शन का होना जरूरी है । लोंग स्ट्रगल स्ट्रेटजी ऑप्शन कांटेक्ट स्ट्रेटजी में से सबसे ज्यादा यूज होने वाली है।

माना किसी ट्रेडर को मालूम नहीं हो पा रहा है या वह अंदाजा नहीं लगा पा रहा है कि मार्केट आप किस दिशा में जाएगा तो वह इस लोंग स्ट्रगल स्ट्रेटजी का प्रयोग कर सकता है। इस प्लेन का उपयोग किया जा सकता है।

लॉन्ग स्ट्रंगल स्ट्रेटजी


इस स्ट्रेटजी की अगर बात करें तो यह भी सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली स्ट्रेटजी है।
एक स्ट्रंगल प्लान में किसी भी एक इंडेक्स या स्टॉक के दो अलग-अलग स्ट्राइक रेट हो सकते हैं लेकिन उनकी एक्सपायरी डेट एक ही होगी और इसमें पुट ऑप्शन और कॉल ऑप्शन दोनों शामिल है।

इसका प्रयोग भी खासकर तब होता है जब ट्रेन में को पता ना हो कि रेट कितने समय जाने वाला है अगला रेट अप जाने वाला है या डाउन जाने वाला है ।

लॉन्ग स्ट्रैंगल, लॉन्ग स्ट्रैडल के समान ही है लेकिन इनमें थोड़ा बहुत अंतर तो होता ही है कि एक स्ट्रैडल में, हमें एटीएम स्ट्राइक कीमतों के कॉल और पुट ऑपशन खरीदने होते हैं जहां स्ट्रैगल में ओटीएम कॉल और पुट ऑ्शन खरीदना होता है। लॉन्ग स्ट्रैडल,लॉन्ग स्ट्रैंगल,मुकाबले थोडा ज्यादा जोकिम भरा है लेकिन इसमें ज्यादा मुनाफा भी मिलता है।

ऑप्शन में ट्रेडिंग 6 mistakes.


1-पहली और सबसे बड़ी गलती हम लोग या करते हैं कि हम लोग ओवरट्रेडिंग करने लग जाते हैं वह ट्रेडिंग का मतलब यह है कि सपोज आपने ऑप्शन दे दिए लेकिन आप अब सोच रहे हो कि यार दो-तीन महीने हो गए एकदम जादू सा हो गया है कि पर महीने अच्छा पैसा कमा रहे हैं।

लेकिन आपको ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोचना है आपको वो ट्रेन नहीं करना है क्योंकि मार्केट कभी भी अब डाउन जा सकता है इसमें होता यह है कि मार्केट को ना तो हम खुद समझा सकते हैं और ना ही मार्केट हमें खुद बता सकता है कि वह कहां जाएगा वह सिर्फ एक अनुमान दे सकता है।

जिस दिन आपने यह सोचा कि मैं मार्केट को समझाऊंगा कि मार्केट कैसे चलेगा उस दिन आप स्टॉक मार्केट शेयर मार्केट ऑप्शन सब से बाहर हो जाओगे। मार्केट की रिस्पेक्ट करना बहुत जरूरी है तो कभी भी ओवर ट्रेड ना करें।

2-दूसरा है मार्जन जब कभी है आप साइकिल सीखते हैं तो क्या आप ऑन रोड सीखते हो नहीं आप एक खाली मैदान ढूंढता है और उसमें साइकल सकते हैं क्योंकि आपके पास एक ओपन स्पेस होना चाहिए जहां थोड़े बहुत सी के तब जाकर आप मार्केट में उतरे और रोड पर साइकिल चलाना शुरू करें।

जितना ज्यादा मार्जन होंगे उतना आप अच्छा प्रॉफिट आप कमाओगे और लोगो से ज्यादा पाओगे बहुत से ऐसे मार्जिन हैं जैसे Zeerodha,Angel one, Alice blue है। आप कम से कम मार्जन करें आप अपने टोटल मार्जन क्या कम से कम 50 परसेंट या 30 परसेंट यूज करें।

पूरा मार्जन कभी भी यूज ना करें कभी भी ऐसा न समझे कि पैसे सीधा डबल हो जाएंगे मार्केट की कोई भी गारंटी नहीं है आप कभी भी लौट में आ सकते हो इसलिए इन्वेस्ट उतना ही करे जितने झेलने की क्षमता हो

3-जब भी आप ऑप्शन में ट्रेड करें तो आपके पास तक डिस्काउंट ब्रोकर जरूर होना चाहिए।


नॉर्मल ट्रेडिंग में आपके पास एक फुल सर्विस ब्रोकर हो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग में आपके पास से डिस्काउंट ब्रोकर तो होना ही चाहिए। क्योंकि बाद बाद में और सर्विसेज में और ट्रेडिंग ब्रोकर पर टैक्स ज्यादा लग जाते हैं जिससे कि वह और महंगा हो जाता है हर समय सर्विस चार्ज देना संभव नहीं है इसलिए आप डिस्काउंट ब्रोकर जरूर रखें।

4-कभी भी ऑप्शन की इस झमेले में ना पड़े कि यह टॉप पिक करूंगा और इसमें रिवर्सल ले लूंगा या यह डाउन जब बॉटम पर जाएगा तब इसमें रिवर्सल ले लूंगा। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना है आपको अपनी स्ट्रेटजी अपने प्लान से इसमें इन्वेस्ट करना है ऑप्शन में ट्रेड करना है।

5-ऑप्शन में ट्रेड करते टाइम हमेशा सही एग्जिट प्लान रखें और बेस्ट मैनेजमेंट के लिए बिल्कुल तैयार रहें। जितने भी टॉप ट्रेडर ऑप्शन में इन्वेस्ट करते हैं उनके पास एक एग्जाम प्लान जरूर होता है और रिस्क मैनेजमेंट मिस के लिए हमेशा तैयार रहता है।

अगर आप एलाइट्स में जाना चाहते हो तो अपना रिस्क मैनेजमेंट और स्टॉपलॉस हमेशा तैयार रखें एग्जिट प्लेन हमेंशा तैयार रखें। अगर आपके पास एग्जिट प्लान और risk मैनेजमेंट है ही नहीं तो आप प्लीज ट्रेडिंग में आए ही नहीं। नहीं तो आपको भारी लॉस का सामना करना पड़ सकता है।

6-कभी भी मार्केट से फाइट ना करें अगर आपको लॉस होता है तो लाश को एक्सेप्ट करें उस लोगों से डील करने के लिए एक और ट्रेड ना करें क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है ।

अगर आप अगली बार इन्वेस्ट करना ही चाहते हैं तो आप 1 हफ्ते का टाइम ले कर अच्छे से स्टडी करके फंडामेंटल को अच्छे से पढ़ कर फिर दोबारा ट्रेड कर सकते हैं लेकिन ऐसे एक के बाद एक ट्रेड करना एक लो उसके बाद उसे फिर से ट्रेड करना आपके लिए भारी नुकसान दायक हो सकता है

किसी भी अन्य ट्रेडिंग स्ट्रेटजी की तरह ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के भी अपने लाभ और नुकसान हैं। ट्रेडिंग में होने वाली महंगी गलतियों से आपका बहुत नुकसान हो सकता है इसलिए आप इन संभावित कारणों से रूबरू रहें। संभावित लाभो और जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के लाभ।


ऑप्शन ट्रेडिंग का यूज़ ट्रेडिंग करने के लिए मार्केट की किसी भी कंडीशन में किया जा सकता है। जो कि अन्य किसी भी ट्रेडिंग में मुमकिन नही है।


ऑप्शन ट्रेडिंग अच्छा ऑप्शन है जो कि फ्लैक्सिबिलिटी के साथ क्वालिटी भी प्रोवाइड करता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान।


•बात करें इंटेक्स या स्टॉक की तो उसका विश्लेषण इक्विटी से अलग होता है।
जिसके लिए बहुत जरूरी है कि आप डेरिवेटिव ट्रेडिंग का संपूर्ण ज्ञान के साथ में ट्रेडिंग करें।

•किसी भी स्टॉक के रेट की मूवमेंट की प्रेडिक्शन करना नामुमकिन है पर अगर आपका अनुमान गलत हो जाता है ऑप्शन ट्रेडिंग आप को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग पर्सनल स्टॉक ईटीएफ या बॉन्ड खरीदने की तुलना में ज्यादा रिस्की हो सकता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें


ऑप्शन ट्रेडिंग एक अच्छा ऑप्शन तो है लेकिन अगर आप पहली बार है आपने ना तो कभी स्टॉप लॉस ना सुना ,ना इंडेक्स का नाम सुने और ना ही ऐसे कोई नाम सुने हैं जो कि ऑप्शन ट्रेडिंग से डिलीट करते लेकिन आप फिर भी अगर ऑप्शन ट्रेडिंग सीखना चाहते हैं ।

तो आप यूट्यूब पर अनंत लड्डा सेशन ज्वाइन कर सकते हैं। वह अक्सर ऐसी वीडियो डाला करते हैं यहां आप पुष्कर राज ठाकुर के वीडियो देख सकते हैं जिनके यूट्यूब पर सिक्स मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइब और हैं।

FAQs

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?

ऑप्शन ट्रेडिंग की अगर बात करें तो यह स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने का ही एक ऐसा तरीका है जिसमें आप कुछ पैसे देकर किसी स्टॉक को पहले ही एडवांस में खरीद लेते हो। जिससे आने वाले टाइम में आप उस शेयर को खरीद भी सकते हो और नहीं भी खरीद या बेच भी सकते हो और नहीं भी। इस ऑप्शन ट्रेडिंग से आप एक हकदार बन जाते हो कि आपने इसमें पैसे दिए हैं और अब आपके अलावा इस शेयर पर कोई और छेड़छाड़ नहीं करेगा। हालांकि इसकी कीमत आपको वही चुकानी होगी जो की एडवांस बुकिंग कराते टाइम थी।

कॉल ऑप्शन क्या है?

इस ऑप्शन में आप किसी भी स्टॉक के हकदार बनने के लिए एडवांस पेमेंट कर लेते हो जिसमें अगर बाद में उसकी कीमत भी बढ़ेगी तो आपको सिर्फ उतना ही पे करना होगा जितना एडवांस करते टाइम, आपने कीमत तय की थी। इसमें कीमत कुछ भी हो सामने वाले को आपको स्टॉक देना ही होगा।

पुट ऑप्शन क्या है?

ऑप्शन में आप अपने स्टाॅक को हाई प्राइज पर बेच सकते हैं। माना आपको लगता है कि मार्केट में कोई स्टॉक गिरने वाला है तो आप उसकी के लिए पहले ही कस्टमर ढूंढ कर रखेंगे क्योंकि आपको पहले ही आपका कुछ परसेंट ही market pay कर देंगे जिससे कि बाद में उनको वह स्टॉक लेना ही पड़ेगा चाहे बाद में उसे स्टोक की कीमत कम हो या ज्यादा हो।

कॉल ऑप्शन में ट्रेड कैसे करते हैं?

कॉल ऑप्शन एक ऑप्शन ट्रेड है जिसमें आपको भी पता है कि अगले महीने यह वस्तु काफी महंगी हो जाएगी इसलिए आप पहले ही एडवांस देकर उस स्टॉक या इंटेक्स की बुकिंग करा लेते हो। जिससे कि अगले महीने वह वस्तु का स्टॉक या इंडेक्स आपको उतने ही रुपए में मिले जितने कि अभी उपलब्ध है।

ऑप्शन का मूल्य आखिर निर्धारित कैसे किया जाता है?

खासकर इसकी कीमत की बात करें तो यह दो तरीके निर्धारित से होती है ।
इंटरनल वैल्यू।
टाइम वैल्यू।

पुट ऑप्शन खरीदने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

आप कितने लॉर्ड में ट्रेड करना चाहेंगे।
क्या बाजार अचानक से बदल जाता है।
आप कितना रिस्क लेना चाहते हैं।
आप कैसी एक्सपायरी के लिए ट्रेड करना चाहेंगे।

लोंग स्ट्रंगल स्ट्रेटजी क्या है?

इस स्ट्रेटजी की अगर बात करें तो यह भी सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली स्ट्रेटजी है।
एक स्ट्रंगल प्लान में किसी भी एक इंडेक्स या स्टॉक के दो अलग-अलग स्ट्राइक रेट हो सकते हैं लेकिन उनकी एक्सपायरी डेट एक ही होगी और इसमें पुट ऑप्शन और कॉल ऑप्शन दोनों शामिल है। इसका प्रयोग भी खासकर तब होता है जब ट्रेनर में को पता ना हो कि रेट किस दिशा में जाने वाला है अगला रेट अप जाने वाला है या डाउन जाने वाला है ।

पुट ऑप्शन में आपके पास क्या अधिकार होता है?

पुट ऑप्शन में आपके पास यह अधिकार होता है कि आप किसी भी शहर को अगले महीने या अगले जो भी चर्चा होगी उसमें बेच भी सकते हो और नहीं भी बेच सकते हो। लेकिन अगर आप बेचते हो तो सामने वाले को खरीदना ही पड़ेगा जिसके साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी कहां मिलेगी?

ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी brightinvestingfinance.com पर मिलेगी।

Informaton source.

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